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गोपी गीत – जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः

‘श्रीमद् भगवत महापुराण जो कि योगेश्वर श्रीकृष्ण का साक्षात् वाङ्मय स्वरुप है, के दशम स्कन्ध को भगवत का हृदय माना […]

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श्री हित स्फुट वाणी अर्थ सहित

।। 1 ।।द्वादश चन्द्र, कृतस्थल मंगल,बुद्ध विरुद्ध, सुर-गुरु बंक।यद्दि दसम्म भवन्न भृगू-सुत, मंद सु केतु जनम्म के अंक।।अष्टम राहु, चतुर्थ

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श्री यमुनाष्टक अर्थ सहित

॥1॥ब्रजाधिराज – नन्दनाम्बुदाभ गात्र चंदना- नुलेप गंध वाहिनीं भवाब्धि बीज दाहिनीम् । जगत्त्रये यशस्विनीं लसत्सुधा पयस्विनीं- भजे कलिन्द नन्दिनीं दुरंत

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श्री वृन्दावन सतलीला अर्थ सहित

श्री वृन्दावन सतलीला में कुल 116 श्लोक है और यह वाणी रसिक संत श्रीहित ध्रुवदास जी महाराज द्वारा कृत है

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श्री राधा कृपा कटाक्ष अर्थ सहित

श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का गायन वृन्दावन के विभिन्न मन्दिरों में नित्य किया जाता है। इस स्तोत्र के पाठ से साधक

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