श्री राधा चरितामृत – Shri Radha Charitra PDF
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खिचड़ी उत्सव के पद
खिचड़ी राधावल्लभ जू को प्यारी ! खिचड़ी उत्सव राधावल्लभ संप्रदाय का विशेष उत्सव है जो की इस साल 1 जनवरी…
श्री गहवर वन : बरसाना
गहवर-वन मे जोही आवेगो जाऐ श्री जी रही बुलाऐ बृज धाम के कुल मुख्य 12 वनों मे सबसे सुन्दर व आकर्षण,…
श्री लाल जू और प्रिया जू की नामावली
प्रिया जू की नामावली ललित रंगीली गाइये। तातें प्रेम रंग रस पाइये ॥राधा गोरी मोहिनी, नवल किशोरी भाँम ।नित्य विहारिनी लाड़िली,…
श्रीहित मंगलगान : जै जै श्रीहरिवंश, व्यास-कुल- मण्डना
श्रीहित मंगलगान श्रीराधावल्लभ मंदिर में नित्य समाज में गाया जाता है ! इसे रसिक जन अपने घर पर भी गाते…
श्री नरवाहन जी
विक्रम की सोलहवीं शताब्दी में वर्तमान पंचकोसीय वृन्दावन हिंसक जीव-जन्तुओं से सेवित एक घने जंगल के रूप में स्थित था।…
श्री लाल जू और प्रिया जू की नामावली
प्रिया जू की नामावली ललित रंगीली गाइये। तातें प्रेम रंग रस पाइये ॥राधा गोरी मोहिनी, नवल किशोरी भाँम ।नित्य विहारिनी लाड़िली,…
श्रीहित मंगलगान : जै जै श्रीहरिवंश, व्यास-कुल- मण्डना
श्रीहित मंगलगान श्रीराधावल्लभ मंदिर में नित्य समाज में गाया जाता है ! इसे रसिक जन अपने घर पर भी गाते…
रसिक नाम ध्वनि (रसिक नामावली)
रसिक नाम ध्वनि को रसिक नामावली भी बोला जाता है जो की ये श्रीहित वृन्दावनदास जी ( पटना वाले )…
गोपी गीत – जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः
‘श्रीमद् भगवत महापुराण जो कि योगेश्वर श्रीकृष्ण का साक्षात् वाङ्मय स्वरुप है, के दशम स्कन्ध को भगवत का हृदय माना…
श्री बांके बिहारी जी अष्टक
श्री कुंज बिहारी भगवान कृष्ण के कई नामों में से एक है, जहाँ बिहारी शब्द कृष्ण के लिए है और…
श्री बांके बिहारी जी विनय पचासा
श्री बांके बिहारी विनय पचासा एक ऐसा पाठ है जो भक्तो को मन, वचन, और कर्म को भगवान की सेवा…
श्री हित स्फुट वाणी अर्थ सहित
मंगलाचरण प्रेमानन्दोत्पुलकित गात्रौ,विद्युद्धाराधर सम कान्तिः राधा कृष्णौ मनसि दधानं,वन्देहं श्रीहित हरिवंशम् श्रीहित हरिवंश महाप्रभु जी की वाणियाँ श्री हित यमुनाष्टक स्त्रोत श्री हित…
श्री यमुनाष्टक अर्थ सहित
मंगलाचरण प्रेमानन्दोत्पुलकित गात्रौ,विद्युद्धाराधर सम कान्तिः राधा कृष्णौ मनसि दधानं,वन्देहं श्रीहित हरिवंशम् श्रीहित हरिवंश महाप्रभु जी की वाणियाँ श्री हित यमुनाष्टक स्त्रोत श्री हित…
श्री हित चौरासी जी
मंगलाचरण प्रेमानन्दोत्पुलकित गात्रौ, विद्युद्धाराधर सम कान्तिः राधा कृष्णौ मनसि दधानं, वन्देहं श्रीहित हरिवंशम् निगम-अगोचर बात कहा कहौं अतिहि अनौखी । उभय मीत…