श्री जी की छठी उत्सव के पद


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श्री जी की छठी 16 सितंबर 2024 को है


छठी लली की री हेली आजु पुजावहीं ।
आरज गोपी री हेली मंगल गावहीं ।।
गाँव-गाँव तें री हेली हुलसी आवहीं।
भांति- भाँति सजि री हेली चावन लावहीं।।
लावहीं सजि चाव भामिनि थार कंचन कर धरै।
गलिनु सोभा भीर बाढ़ी रँग अति कौतिक करे।।
हँसि करत बहु सनमान कीरति भवन सुख वरषावहीं।
छठी लली की री हेली आजु पुजावहीं।।1।।

व्याख्या : हे सखी आज लाली की छठी पूजनी है।आज रानी गोरी लाली के ,हे सखी मंगल गाओ सभी। प्रत्येक गाँव-गाँव में लाली को लेकर ,हे सखी हुलसी (उत्साह से भरी) सब आ रही है।तरह -तरह से सजी हुई ,हे सखी चावन लेकर आ रही है।।सजी हुई रूचि से उन स्त्रियों के हाथों में सोने के थाल रक्खे हुए है।गलियों में इस शोभा की भीड़ बढ़ गयी है और यह रस रँग अति घन-आनन्द उतपन्न कर रहा है।हंसी ठिठोली हो रही है, बहुत सम्मान के साथ श्री कीरत रानी के भवन में सुख की वर्षा हो रही है।हे सखी आज लाली की छठी जो पूजनी है।।1।।

गिरि गोवर्द्धन री हेली दिस मंगल मई।
रूप घटा-सीरी हेली आवत ऊनई ।
सकट अनेकन री हेली पाट वसन भरे।
डबा जराइनु री हेली बहु भूषण घरे ।।
धरे भूषन भार अगनित रैनु खुर गोधन बढ़ी।
मंगलन मीठी धुनि सुनौ गावत वधू सकटन चढ़ी ।।
पूजन छठी नानी लली की भेट ले आवत भई।
गिरि गोवर्द्धन री हेली दिस मङ्गल मई ।। 2।।

मुखरा रानी री हेली आई रंग रली।
प्रेम विवस भई री हेली मुख निरखत लली।।
कीरति भेटत री हेली अपनी माई कै।
गाढ़ प्रीति सौंरी हेली कंठ लगाई कै।
लगाइ जननी कंठ सौं कीरतिहि पुनि पहिरावही।
पट पीयरे परिधान की छवि बढी कहत न आवही ।।
पुरजन सकल पहिराइ पुनि वृषभान पहिरत विधि भली ।।
मुखरा रानी री हेली आई रंग रली || 3||

छठी छबीली री हेली प्रेम सहित धरी ।
पाकन रचना री हेली मङ्गल विधि करी ।।
जसुमति आई री हेली पटुला माइ जुत।
मूंठ उठावत री हेली लीये गोद सुत।
उठाइ रतनन मूंठ जाचक जनन धन दीयौ धनौ।
मुखरा सभागिनि औरु पटुला दान कौ कहाँ लगि गनौं ।।
वृन्दावन हित रूप राधा आरतौ कियौ शुभ घरी।
छठी छबीली री हेली प्रेम सहित धरी ।। 4।।

श्री राधावल्लभ श्री हित हरिवंश

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