Shri Krishna Janmashtmi 2024

हिंदू पंचांग के अनुसार, हर साल भाद्रपद के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाता है.
आएये जानते है इस बार जन्माष्टमी 26 अगस्त को है या फिर 27 अगस्त को?

इस ब्लॉग में हम आपके सभी प्रश्नों का उत्तर देने का प्रयास करेगे !


प्रशन : जन्माष्टमी का व्रत 26 अगस्त को है या फिर 27 अगस्त को?
उत्तर : पहली बात तो ये की आप जिस संप्रदाय या जिस भाव से जुड़े है वहाँ की रस रीति और वही का कैलेंडर में सूचित जानकारी को माने ! दूसरी बात जन्माष्टमी की तो भारत में जन्माष्टमी आज रात ( 26 अगस्त ) को ही है, और व्रत आपको इस अनुसार आज ही करना चाहिए ! पर वृंदावन में उत्सव दिन के समय मनाया जाता है इसलिए आप कई पोस्ट में देख रहे होगे की जन्माष्टमी अगले दिन लिख रहे है !! तो ग़लत आप भी नहीं है और जो लिख रहे है वो भी ग़लत नहीं है बस समझने समझाने का फ़रक है !

वृन्दावन के सभी मंदिर में ठाकुर जी का अभिषेक 27 अगस्त को ही होगा !


प्रशन : जन्माष्टमी का व्रत कैसे करे और क्या सावधानी रखे ?
उत्तर : आपको ये व्रत निर्जला नहीं करना है, इस व्रत में आप एक समय फल आहार कर सकते है और दिन में दूध चाय ले सकते है ! महत्वपूर्ण ये नहीं की आपको भूखा रहना है सबसे महत्वपूर्ण ये है की इस दिन आप ठाकुर जी के आगमन की ख़ुशी में दिन भर अपने ठाकुर जी के मंदिर को सजाने, भोग सामग्री, उनकी लीलाओं में व्यस्त रहे ! इस दिन संभव हो तो किसी की निंदा, झूठ, आदि में अपना समय न गवाए !


प्रशन : ठाकुर जी को किस चीज का भोग लगाये ?
उत्तर : धनिए की पंजीरी, माखन मिश्री मुख्य है और मेवे की घर पर बनी हुई चीजो का भोग भी लगाएं. संभव हो तो कृपया दुकानों से खरीद है भोग नहीं लगाये !


प्रशन : जन्माष्टमी पर ठाकुर जी की पूजन विधि क्या है ?
उत्तर : सबसे पहले उनको वातावरण के अनुसार पानी से स्नान कराए फिर पंचामृत स्नान कराए !
अब जानते है की जानते है पंचामृत कैसे बनाये और कैसे स्नान कराए ?
पंचामृत स्नान सामग्रियों के अर्थ : जन्माष्टमी पर ठाकुरजी यानी भगवान श्री कृष्ण की पूजा में पंचामृत का विशेष महत्व होता है। पंचामृत का अर्थ है पांच पवित्र पदार्थ, जिनसे भगवान को स्नान करवा कर उनकी कृपा प्राप्त की जाती है। ठाकुरजी को जिन पांच पवित्र चीजों से स्नान करवाया जाता है, उन सभी के महत्व और अर्थ भिन्न-भिन्न हैं।

  • दही: दही स्थिरता और संयम का प्रतीक है।
  • दूध: दूध शुद्धता और पोषण का प्रतीक है। बिना बछड़े वाली गाय के दूध का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए।
  • घी: घी ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक है।
  • शहद: शहद मीठे स्वभाव और दया का प्रतीक है।
  • जल: जल जीवन का स्रोत है और पवित्रता का प्रतीक है। पंचामृत स्नान के लिए गंगा जल उत्तम माना गया है।


प्रशन : ठाकुरजी को कैसे करवाएं पंचामृत स्नान ?
उत्तर : जन्माष्टमी के पावन मौके पर ठाकुरजी यानी भगवान श्रीकृष्ण को पंचामृत स्नान करवाना बहुत ही शुभ माना गया है। इसके लिए भगवान श्रीकृष्ण की धातु की प्रतिमा को एक पात्र या स्नान थाली में रख कर पंचामृत स्नान कराया जाता है।

  • ठाकुरजी को सबसे पहले सबसे दही से स्नान करवाए। इससे आपके जीवन में संयम और स्थिरता बढ़ेगी।
  • इसके बाद ठाकुरजी पर धीमे-धीमे गाय का दूध डालना चाहिए। इससे आपका स्वास्थ्य उत्तम रहेगा।
  • फिर, ठाकुरजी को गाय के घी से स्नान करवाना चाहिए। मान्यता है कि इससे ज्ञान और बुद्धि का विकास होता है।
  • इसके बाद भगवान श्रीकृष्ण को मीठे और स्वच्छ शहद से नहलाना चाहिए। यह आपके स्वभाव में करुणा, दया और विनम्रता हो बढ़ाएगा।
  • सबसे अंत में ठाकुरजी को जल से स्नान करवाना चाहिए। यदि गंगाजल न हो, तो स्वच्छ और शीतल जल का उपयोग भी कर सकते हैं। इससे जीवन में शुचिता और पवित्रता में वृद्धि होती है।

इन सभी पवित्र सामग्रियों से लड्डू गोपाल को स्नान करवाने बाद एक स्वच्छ सूती कपड़े से उनका बदन भलीभांति पोंछ देना चाहिए। फिर उनके परिधान पहनाकर, श्रृंगार कर, पूजा और भोग लगाकर उनकी आराधना करनी चाहिए।


प्रशन : जन्माष्टमी पर ठाकुर जी की पूजन का शुभ मुहरत और पारण समय क्या है ?
उत्तर : ठाकुर जी के लिए सभी मुहरत शुभ ही शुभ है पर वृंदावन के भाव अनुसार राती को 12 बजे से आप पूजन प्रारंभ करे और जल्दी श्रृंगार भोग आदि करके उनके सोने की व्यवस्था करे और व्रत का पारण आप अगली सुबह स्नान ध्यान करके सुबह सूर्योदय के बाद कभी भी कर सकते है !


आप सभी को राधेकृष्णावर्ल्ड टीम वृंदावन की ओर से जन्माष्टमी की हार्दिक शुभकामनाएं !
आपको अगर इनके अलावा कोई भी प्रशन को तो अभी व्हात्सप्प करे 9460500125, तो आपके प्रशन और उत्तर को इस ब्लॉग में जोड़ दिया जायेगा ताकि और सब भी लाभ ले सके !

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