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गोपी गीत – जयति तेऽधिकं जन्मना व्रजः

‘श्रीमद् भगवत महापुराण जो कि योगेश्वर श्रीकृष्ण का साक्षात् वाङ्मय स्वरुप है, के दशम स्कन्ध को भगवत का हृदय माना

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श्री हित स्फुट वाणी अर्थ सहित

मंगलाचरण प्रेमानन्दोत्पुलकित गात्रौ,विद्युद्धाराधर सम कान्तिः राधा कृष्णौ मनसि दधानं,वन्देहं श्रीहित हरिवंशम् श्रीहित हरिवंश महाप्रभु जी की वाणियाँ ।। 1 ।।द्वादश

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श्री यमुनाष्टक अर्थ सहित

मंगलाचरण प्रेमानन्दोत्पुलकित गात्रौ,विद्युद्धाराधर सम कान्तिः राधा कृष्णौ मनसि दधानं,वन्देहं श्रीहित हरिवंशम् श्रीहित हरिवंश महाप्रभु जी की वाणियाँ ॥1॥ब्रजाधिराज – नन्दनाम्बुदाभ

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श्री राधा कृपा कटाक्ष अर्थ सहित

श्रीराधा कृपाकटाक्ष स्तोत्र का गायन वृन्दावन के विभिन्न मन्दिरों में नित्य किया जाता है। इस स्तोत्र के पाठ से साधक

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श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष अर्थ सहित

श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष स्तोत्र स्वयं भगवान शंकराचार्य द्वारा रचित है इसमे कुल 9 श्लोक है। ये श्लोक संस्कृत मे

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