Author name: radhekrishnaworld

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श्री हित चौरासी जी

मंगलाचरण प्रेमानन्दोत्पुलकित गात्रौ, विद्युद्धाराधर सम कान्तिः राधा कृष्णौ मनसि दधानं, वन्देहं श्रीहित हरिवंशम् निगम-अगोचर बात कहा कहौं अतिहि अनौखी ।

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