कामिका एकादशी

▌व्रत पारण

कामिका एकादशी व्रत : 21 जुलाई 2025
व्रत का पारण : 22 जुलाई 2025 
( सुबह 05:29 से लेकर 08:16 बजे तक )

▌खास बातें

  • व्रत करने वाले व्यक्ति को एकादशी की तैयारियां दशमी तिथि पर सात्विक भोजन करना चाहिए।
  • भक्त को ब्रह्मचर्य का पालन अनिवार्य रूप से करना चाहिए। साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें।
  • स्नान के समय सभी पवित्र नदियों के नामों का जाप करें, गंगा स्नान का पुण्य मिल सकता है।
  • स्नान के बाद भगवान विष्णु के सामने व्रत करने का संकल्प करें।
  • भगवान के सामने कहें कि आप ये व्रत करना चाहते हैं और इसे पूरा करने की शक्ति प्रदान करें।
  • भगवान विष्णु को पीले फल, फूल, पकवान का भोग लगाएं।
  • दीपक जलाकर आरती करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करें। विधिवत पूजा करें।
  • इस एकादशी की शाम तुलसी की भी विशेष पूजा जरूर करनी चाहिए।
  • शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं और परिक्रमा करें।

▌एकादशी महत्व

कामिका एकादशी श्रावण माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन मनाई जाती है। कामिका एकादशी विष्णु भगवान की आराधना एवं पूजा का सर्वश्रेष्ठ समय होता है। इस व्रत के पुण्य से जीवात्मा को पाप से मुक्ति मिलती है। यह एकादशी कष्टों का निवारण करने वाली और मनोवांछित फल प्रदान करने वाली होती है। कामिका एकादशी को श्री विष्णु का उत्तम व्रत कहा गया है कहा जाता है कि इस एकादशी की कथा श्री कृष्ण ने धर्मराज युधिष्ठिर को सुनाई थी। इससे पूर्व राजा दिलीप को वशिष्ठ मुनि ने सुनायी थी जिसे सुनकर उन्हें पापों से मुक्ति एवं मोक्ष प्राप्त हुआ।

▌एकादशी कथा

प्राचीन काल में किसी गांव में एक ठाकुर (क्षत्रिय) जी थे। क्रोधी ठाकुर( क्षत्रिय) का एक ब्राह्मण से झगडा हो गया और क्रोध में आकर ठाकुर (क्षत्रिय) से ब्राह्मण का खून हो जाता है। अत: अपने अपराध की क्षमा याचना हेतु ब्राह्मण की क्रिया उसने करनी चाही, परन्तु पंडितों ने उसे क्रिया में शामिल होने से मना कर दिया और वह ब्रह्म हत्या का दोषी बन गया परिणाम स्वरूप ब्राह्मणों ने भोजन करने से इंकार कर दिया।

तब उन्होने एक मुनि से निवेदन किया कि ‘हे भगवान, मेरा पाप कैसे दूर हो सकता है।’ इस पर मुनि ने उसे कामिका एकाद्शी व्रत करने की प्रेरणा दी। ठाकुर( क्षत्रिय ) ने वैसा ही किया जैसा मुनि ने उसे करने को कहा था। जब रात्रि में भगवान की मूर्ति के पास जब वह शयन कर रहा था। तभी उसे स्वपन में प्रभु दर्शन देते हैं और उसके पापों को दूर करके उसे क्षमा दान देते हैं।

▌क्या करें ?

  • एकादशी व्रत को दशमी के दिन सूर्यास्त से ही व्रत शुरु करना चाहिए.
  • एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान ध्यान से निपट कर श्रीहरि की पीजा करें.
  • दशमी तिथि के दिन बिना नमक का भोजन ग्रहण करना होगा.
  • भोग में तुलसी के पत्ते जरूर शामिल करें।
  • भगवान विष्णु को प्रिय भोग लगाने चाहिए।
  • विशेष चीजों का दान करना शुभ माना जाता है
  • व्रत के दिन कम से कम बातचीत करें और मन में विष्णु जी के मंत्रों का जाप करें.
  • व्रत के दौरान ताजे फल, मेवा, चीनी, कुट्टू का आटा, नारियल, जैतून, दूध, अदरक, काली मिर्च, सेंधा नमक, आलू, साबूदाना, शकरकंद आदि ग्रहण कर सकते हैं.

▌क्या न करे ?

  • एकादशी के दिन किसी का अपमान नहीं करना चाहिए.
  • व्रत करने वाले को मांस, मछली, प्याज, दाल, और शहद जैसे खाद्य पदार्थों का सेवन नहीं करना चाहिए.
  • एकादशी के दिन चावल का सेवन भी वर्जित माना गया है.
  • व्रत के दिन भोग विलास से दूर रहना चाहिए और पूर्ण रूप से ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए.
  • एकादशी के दिन गेहूं, मसाले और सब्जी आदि का सेवन निषेध माना गया है.
  • व्रत के दिन वृक्ष से पत्ते नहीं तोड़ना चाहिए. बाल नहीं कटवाने चाहिए.
  • एकादशी के दिन मन में किसी प्रकार के गलत विचारों से दूर रहना चाहिए.

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