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श्री राधा चालीसा

॥ श्री राधा चालीसा ॥

वैसे तो परम करुणामयी श्री राधारानी का श्री नाम ही इस संसार के भाव से न केवल पार लगाने वाला है बल्कि परम आनंद प्रदान कर नित्य लीला मे प्रवेश भी देने वाला है। किंतु किशोरी जी के भक्तो का तो जीवन आधार ही उनका नाम, रूप, लीला और धाम का स्मरण करना स्तुति करना।



पहले भी हमने श्री राधा कृपा कटाक्ष और श्री कृष्ण कृपा कटाक्ष जैसे स्तुतियों को पोस्ट किया है अतः इसी श्रृंखला मे श्री किशोरी जी की कृपा से “श्री राधा चालीसा“ का पाठ करेंगे।

सुर-मुनि-देवता भी जिस ब्रज धाम के रज रूप मे निवास करने को भी लालायित रहते है, वहाँ मानव तन लेकर वास तो केवल श्री किशोरी जी के श्री चरणो की कृपा से ही मिल सकती है। श्री राधा चालीसा का पाठ करने से श्री प्रिय-प्रियतम के निज धाम वृंदावन मे वास करने का फल प्राप्त होता है और उनके चरणो के छावँ मे प्राणी मात्र स्वयं को इस भयावह संसार से दूर रख सकता है


।।दोहा।।

श्री राधे वुषभानुजा , भक्तनि प्राणाधार ।
वृन्दाविपिन विहारिणी , प्रानावौ बारम्बार ।।
जैसो तैसो रावरौ, कृष्ण प्रिय सुखधाम ।
चरण शरण निज दीजिये सुन्दर सुखद ललाम ।।

SHRIRADHE VRISHABHANUJA, BHAKTANI PRANAADHAR |
VRINDAVIPIN VIHARINNI, PRANNAVOM BARAMBAR ||
JAISO TAISO RAVAROU, KRISHNA-PRIYA SUKHADHAM |
CHARAN SHARAN NIJ DIJIYE, SUNDAR SUKHAD LALAM ||


।।चौपाई।।

जय वृषभानु कुँवरी श्री श्यामा,
कीरति नंदिनी शोभा धामा ।।
नित्य बिहारिनी श्याम आधारा,
अमित मोद मंगल दातारा ।।1।।

JAI VRISHABHAN KUNVARI SHRI SHYAMA ,
KIRATI NANDINI SHOBHA DHAMA ||
NITYA VIHARINI SHYAM ADHARA ,
AMIT BODH MANGAL DATARA ||1||


।।चौपाई।।

रास विलासिनी रस विस्तारिणी,
सहचरी सुभग यूथ मन भावनी ।।
नित्य किशोरी राधा गोरी ,
श्याम प्राणधन अति जिय भोरी ।।
करुणा सागर हिय उमंगिनी,
ललितादिक सखियन की संगिनी ।।2।।

RAAS VILASINI RAS VISTARINI ,
SAHACHARI SUBHAG YUTH MAN BHAVNI ||
NITYA KISHORI RADHA GORI |
SHYAM PRANNADHAN ATI JIYA BHORI ||
KARUNA SAGARI HIYA UMANGINI ,
LALITADIK SAKHIYAN KI SANGANI ||2||


।।चौपाई।।

दिनकर कन्या कुल विहारिनी,
कृष्ण प्राण प्रिय हिय हुलसावनी ।।
नित्य श्याम तुमररौ गुण गावै,
राधा राधा कही हरशावै ।।3।।

DINKAR KANYA KUUL VIHARINI ,
KRISHNA PRANA PRIY HIY HULSAVANI ||
NITYA SHYAM TUMHARO GUN GAVEN ,
SHRI RADHA RADHA KAHI HARSHAVAHIN ||3||


।।चौपाई।।

मुरली में नित नाम उचारें,
तुम कारण लीला वपु धारें ।।
प्रेम स्वरूपिणी अति सुकुमारी,
श्याम प्रिया वृषभानु दुलारी ।।4।।

MURALI MEIN NIT NAAM UCHAREIN ,
TUM KARANN LILA VAPU DHAREIN ||
PREMA SVAROOPINI ATI SUKUMARI ,
SHYAM PRIYA VRASHABHANU DULARI ||4||


।।चौपाई।।

नवल किशोरी अति छवि धामा,
द्दुति लधु लगै कोटि रति कामा ।।
गोरांगी शशि निंदक वंदना,
सुभग चपल अनियारे नयना ।।5।।

NAVALA KISHORI ATI CHABI DHAMA ,
DHYUTI LAGHU LAAG KOTI RATI KAAMA ||
GOURANGI SHASHI NINDAK VADANA ,
SUBHAG CHAPAL ANIYARE NAINA ||5||


।।चौपाई।।

जावक युत पद पंकज चरना,
नुपुर ध्वनि प्रीतम मन हरना ।।
संतत सहचरी सेवा करहिं,
महा मोद मंगल मन भरहीं ।।6।।

JAVAK YUTH PAD PANKAJ CHARANA ,
NOOPUR DHVANI PRITAM MAN HARNA ||
SANTATA SAHACHARI SEVA KARHIN ,
MAHA MOD MANGAL MAN BHARAHIN ||6||


।।चौपाई।।

रसिकन जीवन प्राण अधारा,
राधा नाम सकल सुख सारा ।।
अगम अगोचर नित्य स्वरूपा,
ध्यान धरत निशिदिन ब्रज भूपा ।।7।।

RASIKAN JEEVAN PRANA ADHARA ,
RADHA NAAM SAKAL SUKH SAARA ||
AGAM AGOCHAR NITYA SVAROOPA ,
DHYAN DHARAT NISHIDIN BRAJABHOOPA ||7||


।।चौपाई।।

उपजेउ जासु अंश गुण खानी,
कोटिन उमा राम ब्रह्मिनी ।।
नित्य धाम गोलोक विहारिन ,
जन रक्षक दुःख दोष नसावनि ।।8।।

UPJEOO JASU ANSH GUN KHANI ,
KOTIN UMA RAMA BRAHMANI ||
NITYA DHAM GOLOK BIHARINI ,
JAN RAKSHAK DUKH DOSH NASAVANI ||8||


।।चौपाई।।

शिव अज मुनि सनकादिक नारद,
पार न पाँई शेष अरू शारद ।।
राधा शुभ गुण रूप उजारी,
निरखि प्रसन होत बनवारी ।।9।।

SHIV AJ MUNI SANAKADIK NAARAD ,
PAAR NA PAAYN SESH ARU SHARAD ||
RADHA SHUBH GUN ROOPA UJARI ,
NIRAKHI PRASANNA HOT BANVARI ||9||


।।चौपाई।।

ब्रज जीवन धन राधा रानी,
महिमा अमित न जाय बखानी ।।
प्रीतम संग दे ई गलबाँही ,
बिहरत नित वृन्दावन माँहि ।।10।।

BRAJ JEEVAN DHAN RADHA RANI ,
MAHIMA AMIT NA JAY BAKHANI ||
PREETAM SANG DIYE GAL BAAHIN,
BIHARATA NIT VRINDAVAN MAAHIN ||10||


।।चौपाई।।

राधा कृष्ण कृष्ण कहैं राधा,
एक रूप दोउ प्रीति अगाधा ।।
श्री राधा मोहन मन हरनी,
जन सुख दायक प्रफुलित बदनी ।।11।।

RADHA KRISHNA KRISHNA HAI RADHA ,
EK ROOP DOUU-PREETI AGAADHA ||
SHRI RADHA MOHAN MAN HARNI ,
JAN SUKH PRADA PRAFULLIT BADANI ||11||


।।चौपाई।।

कोटिक रूप धरे नंद नंदा,
दर्श करन हित गोकुल चंदा ।।
रास केलि करी तुहे रिझावें,
मान करो जब अति दुःख पावें ।।12।।

KOTIK ROOP DHARE NAND NANDA ,
DARASH KARAN HITH GOKUL CHANDA ||
RAAS KELI KAR TUMHEN RIJHAVEN ,
MAAN KARO JAB ATI DUKH PAAVEN ||12||


।।चौपाई।।

प्रफुलित होत दर्श जब पावें,
विविध भांति नित विनय सुनावे ।।
वृन्दारण्य विहारिनी श्यामा,
नाम लेत पूरण सब कामा ।।13।।

PRAFFULLIT HOTH DARASH JAB PAAVEN ,
VIVIDH BHANTI NIT VINAY SUNAVEN||
VRINDARANNYA VIHARINNI SHYAM ,
NAAM LETH PURAN SAB KAMA ||13||


।।चौपाई।।

कोटिन यज्ञ तपस्या करहु,
विविध नेम व्रतहिय में धरहु ।।
तऊ न श्याम भक्तहिं अपनावें,
जब लगी राधा नाम न गावें ।।14।।

KOTIN YAGYA TAPASYA KARUHU ,
VIVIDH NEM VRAT HIY MEN DHARHU||
TAUU NA SHYAM BHAKTAHI APNAVEN ,
JAB LAGI NAAM RADHA NA GAAVEN ||14||


।।चौपाई।।

व्रिन्दाविपिन स्वामिनी राधा,
लीला वपु तब अमित अगाधा ।।
स्वयं कृष्ण पावै नहीं पारा,
और तुम्हैं को जानन हारा ।।15।।

VRINDA VIPIN SVAMINI RADHA ,
LEELA VAPU TUVA AMIT AGADHA ||
SVAYAM KRISHNA PAVAHIN NAHIN PAARA ,
AUR TUMHEN KO JANANI HAARA ||15||


।।चौपाई।।

श्री राधा रस प्रीति अभेदा,
सादर गान करत नित वेदा ।।
राधा त्यागी कृष्ण को भाजिहैं,
ते सपनेहूं जग जलधि न तरिहैं ।।16।।

SHRIRADHA RAS PREETI ABHEDA ,
SAADAR GAAN KARAT NIT VEDA||
RADHA TYAGI KRISHNA JO BHAJIHAI ,
TE SAPNEHUN JAG JALADHI NA TARIHAI||16||


।।चौपाई।।

कीरति कुँवारी लाडली राधा,
सुमिरत सकल मिटहिं भव बाधा ।।
नाम अमंगल मूल नसावन,
त्रिविध ताप हर हरी मनभावना ।।17।।

KIRATI KUMARI LAADALI RADHA ,
SUMIRAT SAKAL MITAHIN BHAV BADA ||
NAAM AMANGAL MOOL NASAVAN ,
VIVIDH TAAP HAR HARI MAN BHAVAN ||17||


।।चौपाई।।

राधा नाम लेइ जो कोई ,
सहजहि दामोदर बस होई ।।
राधा नाम परम सुखदाई,
भजतहीं कृपा करहिं यदुराई ।।
यशुमति नंदन पीछे फिरेहै,
जी कोऊ राधा नाम सुमिरिहै ।।18।।

RADHA NAAM LEI JO KOI,
SAHAJ HI DAMODAR BAS HOI ।।
RADHA NAAM PARAM SUKHDAYI ,
BHAJATAHIN KRIPA KAREN YADURAI ||
YADUPATI NANDAN PEECHE PHIRIHAIN ,
JO KOUU RADHA NAAM SUMIRIHAIN||18||


।।चौपाई।।

रास विहारिनी श्यामा प्यारी,
करहु कृपा बरसाने वारी ।।
वृन्दावन है शरण तिहारी,
जय जय जय वृषभानु दुलारी ।।19।।

RAAS VIHARINI SHYAMA PYARI ,
KARUHU KRIPA BARSANE VAARI ||
VRINDAVAN HAI SHARAN TUMHARI ,
JAI JAI JAI VRSHABHANU DULARI ||19||


।।दोहा।।

श्री राधा सर्वेश्वरी ,
रसिकेश्वर धनश्याम ।
करहूँ निरंतर बास मै,
श्री वृन्दावन धाम ।।

SHRI RADHA SARVESHWARI ,
RASIKESHVAR GHANSHYAM|
KARUHUN NIRANTAR VAAS MAI ,
SRI VRINDAVAN DHAM ||


इस पाठ को नित्य समय निकाल कर जरुर रोज पढ़ा करे 

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