वृन्दावनमें श्रीयमुनाके तटपर अनेक घाट हैं। उनमें से प्रसिद्ध प्रसिद्ध घाटोंका उल्लेख किया जा रहा है
(1) श्रीवराहघाट – वृन्दावनके दक्षिण-पश्चिम दिशामें प्राचीन यमुनाजीके तटपर श्रीवराहघाट अवस्थित है। तटके ऊपर भी श्रीवराहदेव विराजमान हैं। पास ही श्रीगौतम मुनिका आश्रम है।
(2) कालीयदमनघाट – इसका नामान्तर कालीयदह है। यह वराहघाट से लगभग आधे मील उत्तरमें प्राचीन यमुनाके तटपर अवस्थित है। यहाँके प्रसङ्गके सम्बन्धमें पहले उल्लेख किया जा चुका है। कालीयको दमनकर तट भूमिमें पहुँचनेपर श्रीकृष्णको ब्रजराज नन्द और ब्रजेश्वरी श्रीयशोदाने अपने आसुँओंसे तर बतरकर दिया तथा उनके सारे अङ्गोंमें इस प्रकार देखने लगे कि मेरे लालाको कहीं कोई चोट तो नहीं पहुँची है।’ महाराज नन्दने कृष्णकी मङ्गल कामनासे ब्राह्मणोंको अनेकानेक गायोंका यहींपर दान किया था।
(3) सूर्यघाट – इसका नामान्तर आदित्यघाट भी है। गोपालघाटके उत्तरमें यह घाट अवस्थित है। घाटके ऊपरवाले टीलेको आदित्य टीला कहते हैं। इसी टीलेके ऊपर श्रीसनातन गोस्वामीके प्राणदेवता श्रीमदनमोहनजीका मन्दिर है। यहींपर प्रस्कन्दन तीर्थ भी है।
(4) युगलघाट – सूर्य घाटके उत्तरमें युगलघाट अवस्थित है। इस घाटके ऊपर श्रीयुगलबिहारीका प्राचीन मन्दिर शिखरविहीन अवस्थामें पड़ा हुआ है। केशी घाटके निकट एक और भी युगलकिशोरका मन्दिर है। वह भी इसी प्रकार शिखरविहीन अवस्थामें पड़ा हुआ है।
(5) श्रीबिहारघाट – युगलघाटके उत्तरमें श्रीबिहारघाट अवस्थित है। इस घाटपर श्रीराधाकृष्ण युगल स्नान, जल विहार आदि क्रीड़ाएँ करते थे।
(6) श्री आंधेरघाट – युगलघाटके उत्तरमें यह घाट अवस्थित है। इस घाटके उपवन में कृष्ण और गोपियाँ आँखमुदौवलकी लीला करते थे। अर्थात् गोपियोंके अपने करपल्लवोंसे अपने नेत्रोंको ढक लेनेपर श्रीकृष्ण आस-पास कहीं छिप जाते और गोपियाँ उन्हें ढूँढ़ती थीं। कभी श्रीकिशोरीजी इसी प्रकार छिप जातीं और सभी उनको ढूँढ़ते थे।
(7) इमलीतलाघाट- आंधेरघाटके उत्तरमें इमलीघाट अवस्थित है। यहींपर श्रीकृष्णके समसामयिक इमली वृक्षके नीचे महाप्रभु श्रीचैतन्यदेव अपने वृन्दावनवास कालमें प्रेमाविष्ट होकर हरिनाम करते थे। इसलिए इसको गौराङ्गघाट भी कहते हैं।
(8) शृंगारघाट – इमलीतला घाटसे कुछ पूर्व दिशामें यमुना तटपर शृंगारघाट अवस्थित है। यहीं बैठकर श्रीकृष्णने मानिनी श्रीराधिकाका शृंगार किया था । वृन्दावन भ्रमणके समय श्रीनित्यानन्द प्रभुने इस घाटमें स्नान किया था तथा कुछ दिनों तक इसी घाटके ऊपर शृंगारवटपर निवास किया था।
(9) श्रीगोविन्दघाट – शृंगारघाटके पास ही उत्तरमें यह घाट अवस्थित है। श्रीरासमण्डलसे अन्तर्धान होनेपर श्रीकृष्ण पुनः यहींपर गोपियोंके सामने आविर्भूत हुये थे।
(10) चीरघाट – कौतुकी श्रीकृष्ण स्नान करती हुई गोपिकुमारियों के वस्त्रों को लेकर यहीं कदम्ब वृक्षके ऊपर चढ़ गये थे। चीरका तात्पर्य वस्त्रसे है। पास ही कृष्णने केशी दैत्यका वध करनेके पश्चात् यहीं पर बैठकर विश्राम किया था। इसलिए इस घाटका दूसरा नाम चैन या चयनघाट भी है। इसके निकट ही झाडूमण्डल दर्शनीय है।
(11) श्रीभ्रमरघाट – चीरघाटके उत्तरमें यह घाट स्थित है। जब किशोर किशोरी यहाँ क्रीड़ा विलास करते थे, उस समय दोनोंके अङ्ग सौरभसे भँवरे उन्मत्त होकर गुञ्जार करने लगते थे। भ्रमरोंके कारण इस घाटका नाम भ्रमरघाट है।
(12) श्रीकेशीघाट – श्रीवृन्दावनके उत्तर-पश्चिम दिशामें तथा भ्रमरघाटके उत्तरमें यह प्रसिद्ध घाट विराजमान है। यहाँ कृष्ण ने केशी दैत्या वध किया था।
(13) धीरसमीरघाट – श्रीवृन्दावनकी उत्तर दिशामें केशीघाटसे पूर्व दिशामें पास ही धीरसमीरघाट है । श्रीराधाकृष्ण युगलका विहार देखकर उनकी सेवाके लिए समीर भी सुशीतल होकर धीरे-धीरे प्रवाहित होने लगा था।
(14) श्रीराधाबागघाट – वृन्दावनके पूर्वमें यह घाट अवस्थित है।
(15) श्रीपानीघाट – इसी घाटसे गोपियोंने यमुनाको पैदल पारकर महर्षि दुर्वासाको सुस्वादु अन्न भोजन कराया था।
(16) आदिबद्रीघाट- पानीघाट से कुछ दक्षिणमें यह घाट अवस्थित है। यहाँ श्रीकृष्ण ने गोपियों को आदिबद्री नारायणका दर्शन कराया था।
(17) श्रीराजघाट – आदि बद्रीघाट के दक्षिण में तथा वृन्दावन की दक्षिण-पूर्व दिशा में प्राचीन यमुना के तटपर राजघाट है। यहाँ कृष्ण नाविक बनकर सखियों के साथ श्रीमती राधिका को यमुना पार कराते थे । यमुना के बीचमें कौतुकी कृष्ण नाना प्रकार के बहाने बनाकर जब विलम्ब करने लगते, उस समय गोपियाँ महाराजा कंस का भय दिखलाकर उन्हें शीघ्र यमुना पार करने के लिए कहती थीं। इसलिए इसका नाम राजघाट प्रसिद्ध है।
इन घाटोंके अतिरिक्त वृन्दावन – कथा नामक पुस्तकमें और भी 14 घाटोंका उल्लेख है
(1) महान्तजी घाट, (2) नामाओवाला घाट, (3) प्रस्कन्दन घाट, (4) कडिया घाट, (5) धूसर घाट, (6) नया घाट, (7) श्रीजी घाट, (8) विहारीजी घाट, (9) धरोयार घाट, (10) नागरी घाट, (11) भीम घाट, (12) हिम्मत बहादुर घाट, (13) चीर या चैन घाट, (14) हनुमान घाट ।