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6. कन्हैया का एक नाम “दामोदर” कैसे पड़ा

ब्रज भाषा मे ब्रज की लीला

इसे पढ़ कर आपको बहुत आनदं आयेगा हमे जरुर बताये कैसा लगा ब्लॉग ये ब्लॉग हम आपको हिंदी और ब्रज दोनों भाषा में प्रस्तुत कर रहे है ताकि आपको समझ आ सके !

माखन चुरा कर भगवान दूर खड़े मुस्कुरा रहे है! तभी भगवान के परम मित्र मनसुखा आ गए ,

तो मैया मनसुखा से कहती है – – मनसुखा तू आज लल्ला को पकडवाने मे मदद करेगा तो तुझको खाने को मक्खन दूंगी !!
तो मनसुखा बातों मे आ जाते हैं ।

जब मनसुखा भी कान्हा को पकड़ने भागे तो कन्हैया बोले – – – क्यों रे ब्राहमण तू आज माखन के लोभ मे मैया से मार लगवायगो ??

सोच ले मैं तो तुझ को रोज चोरी करके माखन खाने की लिए देता हूँ ;मैया तो तुझे सिर्फ आज माखन खाने को देगी !!

अगर तूने मुझे पकड़ा और मैया से मार लगवाई – –तो तेरा अपनी पार्टी से निकार दुंगो !! तो मनसुखा बोले – – -देख कान्हा! मैया का क्या है , एक तो वो तुझ से प्यार इतना करती है !!जो तुझको जोर से मार तो लगाएगी नहीं और दो चपत तेरे गाल पे लग जायेगी तो क्या इस ब्राहमण का भला हो जायेगा और माखन खाने को मिल जायेगा चोरी भी नहीं करनी पड़ेगी !!!!

कान्हा बोले – – –अच्छा मेरी होए पिटाई और तेरी होय चराई!! वाह मनसुखा वाह!! और ये सब कहते हुए छोटे छोटे पैरों में घुंघरू छन छन करके बज रहे हैं और यशोदा सब कुछ सुन रही हैं और अपने लाल की लीला देख के गुस्सा भी और प्रसन्न भी हो रही हैं!! गुस्सा इस लिए हो रही है की इतना छोटा और इतना खोटा !! पकड़ में ही नहीं आ रहा!! और अपने लाल की लीला जिसपे सारा बृज वारी वारी जाता है !भगवान् सुंदर लीला कर रहे हैं! तभी मनसुखा ने माखन के लोभ मैं कृष्ण को पकड़ लिया है !!और जोर से आवाज लगायी- – – काकी जल्दी आओ!! मैंने कान्हा को पकर लियो है !!

आवाज सुनकर मैया दौड़ी दौड़ी आई !जैसे ही मैया पास पहुंची – -मनसुखा ने कान्हा को छोड दिया !!मनसुखा बोले – – मैया मैंने इतनी देर से पकड़ के रखो पर तू नाए आई तो कान्हा तो हाथ छुडवा के भाग गयो !!जब मैया थककर बैठ गयी तो मनसुखा मैया से बोलो – -मैया तू कहे तो कान्हा को पकड़ने को तरीका बताऊँ ? तू इसे अपने भक्तन (सखा और सखी गोपियों ) की सोगंध खवा !!

मैया बोली – – या चोर को कौन भक्त बनेगो ? फिर भी मैया कन्हैया को सोगंध खवाती है !कन्हैया तुझे तेरे भक्तो की सौगंध जो मेरी गोदी मे न आये !!!भगवान् मन मे सोचते है “अहम् भक्ता पराधीन “ मैं तो भक्त के आधीन हूँ और वो भागकर मैया के पास चले आते हैं और मैया से बोलते हैं – -आरी मैया !!अब तू मोये मार या छोड दे – -ले अब मे तेरे हाथ मे हूँ !!!

मैया बोली – – लल्ला आज मारूंगी तो नहीं ; पर छोडूंगी भी नहीं !! पर तेरी सारी बदमाशी तो बंद करनी ही पड़ेगी!! इसलिए मैया रेशम की डोरी से उखल से कृष्ण के पेट को बांध रही हैं !!भगवान सोच रहे हैं – – -मैया मेरे हाथ को बांधे तो बंध जाऊं!! पैर बांधे तो भी बंध जाऊं !! पर मैया तो पेट से बांध रही है ;और मेरे पेट में तो पूरा ब्रहम्मांड समाया है !!

मैया बार बार बांध रही है ; पर हर बार डोरी दो उंगल छोटी पड़ जाती है !! और डोरी जोडके बांधती है ;तो भी दो ऊँगल छोटी पड़ जाती है !!एक ऊँगल प्रेम है और दूसरा है कृपा !! भगवान सोच रहे है कि अगर प्रेम है तो कृपा तो मैं अपने आप ही कर देता हूँ !!आज जब मैया थक गयी और प्रेम मैं आ गयी तो प्रभु ने कृपा कर दी और अब मैया ने कान्हा को बाँध दिया है !!!

संस्कृत मे डोरी को दाम कहते है !!और पेट को उदर कहते है!!
जब भगवान् को रस्सी से पेट से बांधा तो कान्हा का एक नया नाम उत्पन्न हुआ “दामोदर”!!!

राधेकृष्णावर्ल्ड से जुड़ने हेतु धन्यवाद !

अगले शनिवार हम आपको ब्रज में फ़ोन पर कैसे बात करते है वो बतायेगे

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5. ब्रज भाषा मे ब्रज की एक लीला

ब्रज भाषा मे ब्रज की कहानी : गोपी प्रेम

इसे पढ़ कर आपको बहुत आनदं आयेगा हमे जरुर बताये कैसा लगा ब्लॉग

आज लाला कन्हैया के आँखन मे काजल लगाने को दिन है! नन्द बाबा की बहन सुनन्दा देवी जो कन्हैया की बुआ लगती है चटकती मटकती आयी और यशोदाजी से बोली की..

सुनन्दा जी — भाभीजी लाला को काजल लगावे का हक हमारो है।


श्री यशोदा जी — हाँ बीबी जी लगाओ आप ही लगाओ।


सुनन्दा जी — ऐसे नही लगाऊँगी मेरो को भी नेग चाहिये।
यशोदा जी — हाँ बीबी जी आपको भी नेग मिलेगो।
सुनंदा जी — देखो भाभी जब लाला के नाल छेदन के समय नाल काटने वारी दासी नेग के लिये मचल गई की व्रजरानी बहुत दिनन बाद लाला हुआ हुआ है नेग सोच समझकर देना तो आपने अपने गले का नौलखा हार उतारकर उसे पहना दी वाते कमती मुझे मत करियो नही तो ननद भाभी दोनन की झगड़ा बन जायेगी और हमेशा के लिये ननद भौजाई की शिकायत बनी रहेगी।


यशोदा जी — नही नही बीबी जी वाते बढ़ चढ़के मिलेगो।

फिर सुनन्दा बुआ ने लाला श्यामसुन्दर को काजल लगाई और सोच रही है की देखे भाभी क्या देती है ज्योंही सुनन्दा बुआ ने हाथ बढ़ाये की लाओ मेरा नेग दो तो श्री यशोदा जी ने कन्हैया को उठाकर उनकी गोदी मे दे दी और सुनन्दा जी के मुखमंडल पर दृष्टि डाली की बीबी जी कछु कसर रह गयी हो तो दउँ कछु और?आँखन मे आँसू आ गये।

सुनन्दा बुआ के बोली भाभी याते कीमती और क्या हो सकता है। तूने तो अपना सर्वस्व दे दिवो।अब लाला मुझे नेग मे मिल्यो तो लाला तो हमारो हय गयो।लेकिन भाभी मेरी छाती मे दूध नाय।

लाला को दूध पिलावे को कोई धाय रखनो पड़ेगो और देख तेरी छाती मे दूध फालतू पड़ो रहेगो। क्या फायदो धाय रखने को।लेव मै तोहि को अपने लाला के लिये धाय के रुप मे नियुक्त करती हूँ।

मेरो लाला को खूब ध्यान रखियो और उन्होने लाला कन्हैया को यशोदा जी के गोद मे दे दिया।

इस तरह से खूब आनन्द हो रहा है ब्रज मे।- राधेकृष्णावर्ल्ड

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4. नित्य बाजार में प्रयोगिक वाक्य

आज हम रोज के प्रयोग किये जाने वाले कुछ वाक्यों के बारे में जानेंगे :

  • आपकौ स्वागत ऍह –  आपका स्वागत है |
  • राधे-राधे –  नमस्ते |
  • तुम्हारौ काह है रह्यौ ऍह–  तुम कैसे हैं  |
  • मैं अच्छौ ऊँ –  मैं अच्छा हूँ |
  • बहौत दिनान ते आप देखे नाँय–  बहुत समय से आपको देखा नहीं |
  • आपकौ नाम काह ऍह –  आप का नाम क्या है ?
  • मेरौ नाम …..ऍह –  मेरा नाम … है |
  • दुबारा मिलंगे – फिर मिलेंगे |
  • आपकौ दिना अच्छौ बीतै– आप का दिन अच्छा बीते!
  • कृपा करकें नैक हौलें बोलौ – कृपया ज़रा धीरे बोलिये।
  • काह आप अँगरेजी बोलतें– क्या आप अंग्रेज़ी बोलते हैं?
  • हम्बै ,नैक सी – हाँ, थोडी सी |
  • माफ़ कर देऔ – क्षमा कीजिए |
  • कोई बात नाँय – कोई बात नहीं |
  • मैं तो ते बहौत प्यार करतौ ऊँ– मैं तुमसे प्यार करता हुँ
  • एक भाषा कभउ ज्यादा नाँय हैमत –  एक भाषा कभी भी काफ़ी नहीं होती |

इन बाजार से संबंधित आपको कुछ वार्ता भी बता रहे है इसे भी पढ़े :

In Market-

Braj– भारतीय बाजारों में दालों के भाव अभी तो गिरने का नाम ही नही ले रहे हैं |
Hindi– भारतीय बजारन में दारन के भाव अबई तौ गिरबे कौ नाम ऊ नाँय लै रे ऍह |
Braj– भाई ठेले वाले से चार किलो कच्चा आम ले लो |
Hindi– भैया ठेला बारे पै ते चार किलो कचचौ आम लै लेऔ |
Braj– इधर से उधर घूम रहा हूँ पर मुझे मंडी की तरफ जाने वाली गली नही मिल रही है-इत ते बित डोल रौ ऊँह ,पर मोय मंडी के माँऊँ जाबे बारी गली नाँय मिल रई |
Hindi– इस बाजार में फलों और सब्जियों के आलावा कपडे भी मिलते हैं-या बजार में फलन और सब्जीन के आलावा लत्ता ऊ मिलतें |
Braj– यहाँ से वहाँ तक कपड़ों की दुकानों की लाइन लगी हुई हैं |
Hindi– यांह ते वहां तक लत्तांन की दुकानन की लैन लगी परी ऍह |
Braj– बरसात आने की बजह से सारे बाजार में पानी भर गया है |
Hindi– मेह आबे के मारें सबरे बजार में पानी भर गयौ ऍह |
Braj– सरकार को कीमतौं पर काबू करना चाहिए |
Hindi– सरकार कूँ कीमतंन पै काबू करनौ चहियै |


जन्मी ब्रजभूमि में पली है तू मलाई पाय,
गोपन कौ माखन सरस सद् खायौ है।
तुलसी के वन में, सुछंद गेंद सूरज की,
खूब खुलि खेलिकें अनूप रूप पायौ है।
ऐहो रसखानि घन आनंद सुमन वारी,
दास मतिराम तोय भूषन सजायौ है।
धन्य ब्रजभाषा तोसी दूसरी न भाषा, तैनें
बानी के विधाता कू बोलिबौ सिखायौ है 

(मथुरा यानी ब्रज का क्षेत्र हमेशा दूध, दही और मलाई से परिपूर्ण रहता है, वहा ंरहने वाले सदैव मलाई और माखन का सेवन करते रहते हैं और स्वयं कृष्ण को भी मलाई बेहद प्रिय थी। इस भाषा में रसखान और मतिराम जैसे कवियों ने अनेक रचनाएं की हैं और रामनारायम अग्रवाल कहते हैं कि ब्रजभाषा जैसी और कोई दूसरी भाषा नहीं है क्योंकि इस भाषा ने कृष्ण यानी विधाता को बोलना सिखाया है)

ब्लॉग कैसा लगा जरुर बताये और पुराने 3 ब्रज के ब्लॉग जरुर पढ़े

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3. ब्रज लीला ब्रज भाषा में

ओ मैय्या मोहे चंदालाके देय

( मैया मुझे चाँद लाके दो  )


आज की कथा बहुत ही ख़ास है जिसमे आपको ठाकुर जी की एक बहुत प्यारी लीला के बारे में पढने और जानने को मिलेगा ! और सबसे अच्छी बात है की ये ब्रज भाषा में लीला है ! आप 2 कथा ले चुके है और ये तीसरी कक्षा है, आप सभी आनद ले !


लाला ने देखा कि बहुत देर से मैया दही बिलो रही है तो उठकर आये, रात्रि को सोते समय मैया कृष्ण की आखों में काजल लगाती है तो सबेरे उठते ही कन्हैया दोनों हाथ से आंखें मलकर आये तो जगन्नाथ भगवान् की सी गोल-गोल आंखें बन गयी, वो काजल आधे गाल पर फैल जाता, घुटमन-घुटमन चलकर आये, मटकी को पकड़कर खड़े हो गये।

मैया बोली– ओहो ••• आ गये तुम, कन्हैया ने कही- मैया, बड़ी जोर की भूख लग रही है, माखन दे दो, मैया बोली- माखन तो अबई निकरयो नांय, पहले हाथ मुंह धो, ज्यादा भूख लगी है तो रात्रि को माखन वा मटकी में धरयो है, नेक मिश्री मिलायकें खायले, ना मैया, मैं तो ताजौ माखन लुंगौ, याही मटकी में से लुंगो और अबही लुंगो, मचल गये।

मैया बोली– लाला तू मोय तंग करै, तू मौकूं अच्छौ नाय लगै, तू बड़ो ऊधम मचावै, अबही निकरयो ही नाय तो माखन, बोले, ना मै तो ताजौ ही लूंगो, मैया ने सोचा, भूख-वूख तो इसे लगी नहीं है, बच्चों को तो जो बात मन में आ जाय बस वही चाहिये, मैया ने लाला कौ गोदी में लै लियौ और बोली, देखियो ये ऊपर क्या है? कन्हैया बोले, क्या है?

मैया बोली– चन्दा मामा है, सो चन्दा को देखते ही कान्हा माखन भूल गये, हम तो चन्दा लेंगे, हम तो चन्दा लेंगे, हमकूं चंदा चाहिये और अब ही चाहिये, मैया ने कही- हाँ, चंदा लेंगे, चंदा लेंगे करतो रह तब-तक मेरो माखन निकल आयगो, साड़ी पकड़कर खड़े हो गये, माखन-वाखन बाद में निकलेगा पहले चंदा चाहिये, मैया बोली- हे भगवान् अब क्या करूं?

मैया ने बहुत बड़ी परात में पानी भरकर रख दिया, ले आय गयौ चंदा, हाथ मारकर बोले ये तो पानी है, मैं तो वाही को लुंगो, अब ज्यादा तंग जब करने लगे तो मां यशोदा को थोड़ा क्रोध आ गया, मैया बोली, बहुत ही परेशान करै, लाला को गोदी से नीचे पटक दियौ, चलौ जा यहां से, चंदा लेंगे चंदा लेंगे सुबेरे से परेशान कर रहयौ है मोय।

जैसे ही मैया ने फटकार लगा दी तो गुस्सा के मारे गुब्बारे जैसौ मुंह फूल गयो गोविन्द को, कमर पर हाथ धर के यशोदा मैया की ओर देख रहे हैं, बोले- ओ बुढ़िया मैया, चंदा दोगी कि नहीं, मैया बोली- धमकी देय रहयौ है मोय? नाय देय रही चंदा, बोल क्या करेगौ, संसार में दो ही हठ सबसे विचित्र होती हैं, एक बाल हठ और दूसरा आप सब जानते हैं, मैं बताऊँगा नहीं।

बालकों की हठ बड़ी विचित्र होती है, बालक यदि अपनी बात पर अड़ जाये तो उस काम को करके ही मानै और दूसरी हठ अपनी बात पर आ जाय तो करके माने, कन्हैया मचल गये कितनी सुंदर धमकी दे रहे हैं मैया यशोदा को “चन्द्र खिलौना लैहों री मैया चन्द्र खिलौना लैहों” यदि तुमने चंदा नहीं दिया तो जमीन पर लेट जायेंगे, पूरे शरीर पे बालू लगा लेंगे, तुम्हारी गोद में बिल्कुल नहीं आयेंगे।

मैया बोली– दारी के मत आ, मेरी गोद मैं नाय आवेगो तो मैं बलराम को गोद में लेय लूंगी पर चंदा नहीं दूंगी, जो करनो है सो कर ले, कन्हैया ने सोचा, ये धमकी काम नहीं कर रही है तो “सुरभि को पय पान न करिहों बेणी सिर न गुथैहों” यदि तुम चंदा नहीं देओगी तो सुरभि गाय को दूध नहीं पिऊँगो, बालों में फूल नाय लगाऊँगों।

मैया बोली- दारी के एक तो वैसे ही तू दुबलौ-पतलौ है, दूध ना पीवैगो तो तेरो पेट पीठ में ही चिपक जायगो और दुबलो हो जावेगो, तू कारौ तो है ही लाला, सुन्दर तो है नाय, तेरी चोटी गूंथ के मैं तौहै थोड़ा सुन्दर बना देती हूँ, चोंटी ना गुथवावोगौ तो मैं तो बलराम की गूंथ देऊँगी, मत आवे मेरी गोद में, भगवान् ने देखा कि ये धमकी भी काम नहीं कर रही है।

कन्हैया बोले– या तो हमें चंदा दे दो नहीं तो हमारे पास एक बात ऐसी है, सुनाय दयी तो चंदा देनों ही पड़ेगो, मैया बोली- तू जै बात होयै जा सबने सुना दें मैं चंदा ना दे रही, अब लाला सोचने लगा कुछ तो करना पड़ेगा, यदि तुमने हमें चंदा नहीं दियो तो ब्रजवासीयों की पंचायत में कह देंगे, सुनो मैया हम केवल नंदबाबा के बेटा है, यशोदा के बेटा नहीं हैं।

यदि तोकुं अपनो पुत्र बनानो है तो पहले हमको चंदा दे दो, नहीं तो तू हमारी मैया नहीं और हम तुम्हारे पुत्र नहीं, रूठकर जाकर कौने में बैठ गये, साढ़े तीन बरस का कृष्ण जब रूठकर कौने में जाकर बैठा तो मैया यशोदा के नेत्रों से प्रेमाश्रु निकल पड़े, मैया बोली- अरे तू ऐसी तोतरी वाणी बोले तोकूं कहीं मेरी ही नजर ना लग जाये।

दौड़कर यशोदा ने लाला को अंक में भर लिया और गोद में बिठा लिया, अरे लाला, एक मीठी बात कहूं, बोले कह दो, तूं रूठ्यौ ना कर, ऐसो नाराज मत हो, माखन से भी कोमल, चंदा से भी सुन्दर तेरे लिए एक नयी बहू लै आऊँगी, बहू का नाम सुनते ही चंदा भी भूल गये, श्रीमान् बोले बहू लेंगे हम तो बहू लेंगे, मैया हंसकर बोली- मुंह धोयबो तौ आवै नाय और बहू लेंगे।

तोहे भोजन तो मैं अपनी गोद में बिठाकर कराऊँ, भोजन करनो आवे नाय, बहू लेगो, तू जानै बहू कैसी होवै? बहुत लम्बी होय बहू, तू तो छोटो सो लाला है बहू तो बड़ी लम्बी होय, कन्हैया बोले- हम छोटे है तो बहू भी छोटी ही ले लेंगे, मैया बोली- ठीक है आज माखन बाद में निकारूंगी पहले तेरे लिए बहू ही लै आऊँ, बता कितनी बड़ी बहू लै आऊँ।

कन्हैया बोले- इतनी बड़ी लै आइयो जो हम गाय चरावे जायो करें तो जेब में धर के लै जायो करै, मैया बोली- गुड़ियाकी कह रहयो दीखै, सो लाकर गुड़िया हाथ में दै दई और सब भूल गये, साढ़े तीन बरस का बालक क्या जाने बहू क्या होती है? अब सब भूल गये कन्हैया और मैया यशोदा की गोद में चढ़ गये।

जय हो यशोदा नंदन की

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2. नित्य प्रयोगिक वाक्य

आज हम रोज के प्रयोग किये जाने वाले वाक्यों  के बारे में जानेंगे :

हम आपको कुछ वाक्य आज बता रहे है और कुछ अगले ब्लॉग में बताएंगे । इन  वाक्यों को आप कम से कम 10 बार अपने मुँह से बोलने का प्रयाश करें हम कम कम ही वाक्यआपके सामने रखेगे ताकि आप अच्छे से प्रयास कर पाए । अगला ब्लॉग राधेकृष्णावर्ल्ड ऍप पर जल्द मिलेगा ।



वार्तालाप के उदाहरण के साथ कुछ वाक्य 


  • ब्रज भाषा में – कहाँ जाय रह्यौ है, रे लल्ला / लाली ? 
    हिंदी भाषा में – कहाँ पर जा रहे हो आप ( लड़के / लड़की )
    In English – ( Where are you going boy/Girl ? )

  • ब्रज भाषा में – काह कर रह्यौ है? लल्ला / लाली ?
    हिंदी भाषा में – क्या कर रहे हो/रही हो? ( लड़का / लड़की )
    In English – ( What are you doing boy/Girl ? )

  • ब्रज भाषा में – तेरौ नाम काह है?
    हिंदी भाषा में – तुम्हारा नाम क्या है?
    In English – ( What is your name ? )

  • ब्रज भाषा में – तैनें परशादी में काह खायौ?
    हिंदी भाषा में – तुमने भोजन में क्या खाया?
    In English – ( What you taken in Dinner/ Breakfast ? )

  • ब्रज भाषा में – मोय नाँय पतौ।
    हिंदी भाषा में – मुझे नहीं पता।
    In English – ( I don’t know )

  • ब्रज भाषा में – कित कौ रहबे वारौ है तू?
    हिंदी भाषा में – कहाँ का रहने वाला तू?
    In English – ( Where From You Are ? )
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1. नित्य प्रयोगिक शब्द

आज हम रोज के प्रयोग किये जाने वाले शब्दों के बारे में जानेंगे :

हम आपको कुछ शब्द आज बता रहे है और कुछ अगले ब्लॉग में बताएंगे । इस शब्दों को आप कम से कम 10 बार अपने मुँह से बोलने का प्रयाश करें हम कम कम ही शब्द आपके सामने रखेगे ताकि आप अच्छे से प्रयास कर पाए । अगला ब्लॉग राधेकृष्णावर्ल्ड ऍप पर जल्द मिलेगा ।



  • लड़का – Boy – लाला
  • लड़का – Boy – लाला
  • लड़की – Girl – लाली
  • मुझे – Me – मोहे
  • सबको – All – सबन
  • क्या – What – का
  • उससे – That – वाते
  • इससे – This – याते

इन शब्दों से संबंधित आपको कुछ वार्ता भी बता रहे है इसे भी पढ़े :

एक गोपी कन्हैया से पुछती है। गोपी :- लाला एक बात तो बता। ये जो तू सबन ने “सखी” कहत डोले। चाहे लाली होए या मो सम बुड्ढी होए। या “सखी” का अर्थ का होत है। ठाकुर जी :- एक बात बता सखीजब गईया मईया के बछड़ा होए और वाको पहला दूध निकसे। तो वाते का कहे और वो कैसो होए। गोपी :- वाते कहे “खीस”। और वो तो खाईबे में दूध से भी स्वादिष्ट और पोष्टिक होए। यो मान ले अमृत के समान। ठाकुर जी :- अब या “खीस” को नेक उलटो करियों। गोपी :- “खीस” को उलटो “सखी”। ठाकुर जी :- बस अब तो समझ जा सखी। और सब तो मोहे दूध के समान प्रिय हैं। परन्तु तू मोहे खीस के समान प्रिय हैं। तू तो अमृत हैं अमृत।

यह सुनकर गोपी प्रसन्नता से शर्मसार हो जाती है ।